Gunjan Kamal

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प्यार जो मिला भी और नहीं भी भाग :- २९

     भाग :- २९



उन्तीसवां अध्याय शुरू 👇


कभी-कभी इंसान कहना तो बहुत कुछ चाहता  है लेकिन सामने वाले पर वह भरोसा कैसे करें?  यह सोच कर उसके मुॅंह से ना ही निकलती है। ऋषभ जो आज ही  पायल से मिला है उस पर इतना विश्वास कैसे कर ले कि  अपने मन की बात उससे साझा कर लें।


पायल की तरफ देखते हुए ऋषभ कहता है 👇

ऋषभ :- मेरे जैसे लड़के से कौन प्यार करेगा और जो मुझसे प्यार नहीं करेगा उसे मैं कैसे प्यार कर सकता हूॅं? एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है आप मुझसे यह सवाल क्यों कर रही हैं? आप तो मुझसे पहली बार मिल रही है फिर इस तरह से प्यार वाली बातें वह भी लड़की होकर मुझसे?


ऋषभ की तरफ देखकर पायल मुस्कुरा देती है। उसे  मुस्कुराते हुए देखकर ऋषभ को आश्चर्य होता है जिसके कारण वह लगभग ऑंख फाड़ उसे देखने लगता है।अपनी तरफ यूं ऋषभ को घूरते हुए देख कर मुस्कुराते हुए पायल कहती है👇


पायल :-  जब आपको पहली बार देखा तो मेरे मन में यह सवाल उठा था और अभी अचानक से आपसे जब बात करने लगी तो मेरे मन ने कहा कि आपसे यह बात पूछ लूं। यदि आपको बुरा लगा हो तो उसके लिए मुझे माफ कर दीजिए। मेरे ख्याल से इसमें लड़का - लड़की वाली बात नहीं ह।  जिसके दिल में प्यार है वही तो प्यार वाली बातें करेगा , चाहे वह लड़का हो या लड़की। मैं भी प्यार करती हूॅं । अपने मम्मी - पापा से, अपने दादा - दादी से, अपने भाई - बहन से।  सभी करते हैं और हो सकता है आप भी करते हो और अभी नहीं तो कभी अपने जीवनसाथी से तो प्यार करेंगे ही। प्यार भरी बातें सिर्फ लड़के और आदमी ही करें ऐसा होता है क्या? मेरे ख्याल से तो ऐसा होना भी नहीं चाहिए।


"मेरे कहने का मतलब वह  बिल्कुल भी नहीं था।  आपकी बातें सच है कि हम सभी अपने परिवार से प्यार करते हैं और रही बात शादी के बाद जीवनसाथी से प्यार होने की तो उसमें तो अभी बहुत समय है। पहले अपना कैरियर बना लूं, कुछ बन जाऊं उसके बाद इन सब चक्करों में पड़ना पसंद करूंगा।"  ऋषभ ने पायल द्वारा कही बातों का जवाब देते हुए कहा।


पायल ने आश्चर्य से ऋषभ  की  तरफ देखा और उससे कहा 👇

पायल :- आपके पापा तो कह रहे थे कि आप उनका बिजनेस ही करोगे। पढ़ाई करने के बाद वह आपको बिजनेस के क्षेत्र में लाना चाहते हैं और अपने से बड़ा बिजनेसमैन बनाना चाहते हैं और आप कह रहे हो कि आपको कुछ बनना है। क्या आप अपने पापा का कारोबार करना नहीं चाहते?


"बिल्कुल भी नहीं। मुझे बिजनेस में कोई रुझान ही नहीं है। मैं तो ऐसे क्षेत्र में जाना चाहता हूॅं जहां पर अपने देश के लिए कुछ कर सकूं। मुझे शुरू से ही वर्दी अच्छी लगती है, जिस किसी को भी वर्दी पहने देखता हूॅं उसके बारे में जानने और सुनने की उत्सुकता बढ़ जाती है मेरी। आप हसेंगे लेकिन मेरे सपनों में वर्दी पहने लोग आते हैं और उनके साथ मैं भी वर्दी में बहुत जचता हूॅं और वह  वर्दी मैं अपनी।  मेहनत से कमाना चाहता हूॅं जो मुझे बिजनेस में तो  कभी नहीं मिलेगी। मैं कभी भी नहीं चाहता कि मैं बिजनेस पर आऊं।  पापा ने भी कभी मेरे से इसके बारे में जिक्र नहीं किया लेकिन जहां तक मुझे लगता है मेरा छोटा भाई ऋषि का इस क्षेत्र में रूझान है।  यदि वह बिजनेस करना चाहता है तो मैं उसकी पूरी मदद करूंगा लेकिन स्वयं के लिए तो मैंने कुछ अलग ही सपने देख रखें है। माता ने चाहा तो उस सपने को जरूर पूरा करूंगा मैं।"  पायल की बात खत्म होने के तुरंत बाद ही ऋषभ ने अपनी बात पायल से कही।


ऋषभ को देख कर पायल मुस्कुरा देती है और उससे कहती  है 👇

पायल :-  आपकी ईमानदारी से कहीं बातें मुझे बहुत पसंद आई। आपके दिल में जो बातें थी आपने मुझे कह दी। बहुत कम  लोग ऐसे होते हैं जो अपने दिल की बात अपने होठों तक ला  पाते हैं , उनमें से आप एक हैं। आपसे मिलकर अच्छा लगा, आगे भी आप से मिलना चाहती हूॅं इसीलिए कभी-कभी आपको फोन कर लिया करूंगी लेकिन तब जब  आप चाहें।


" वैसे मैं टेलीफोन पर तो बहुत  कम ही बातें करता हूॅं लेकिन यदि आप जैसी दोस्त मुझे मिल जाए तो कभी - कभार बात करने में हर्ज ही क्या है?" ऋषभ ने मुस्कुराते हुए कहा।


"आपने जैसा कि अभी कुछ देर पहले बताया कि आप दसवीं में है उस अनुसार आने वाले साल में आपका बोर्ड का एग्जाम होगा उसके लिए आप की तैयारियां कैसी चल रही है? मैंने इसी साल दसवीं बोर्ड की  परीक्षा पास की है। कुछ मदद मुझसे लेनी हो तो आप बेझिझक मुझसे कह सकती है वैसे मैं पढ़ाई में उतना अच्छा तो नहीं हूॅं लेकिन जितना मुझे आता है उतनी मदद मैं आपकी कर सकता हूॅं। " ऋषभ ने पायल की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर कहा।


ऋषभ की बातें सुनकर पायल हंसने लगती है और कहती है 👇

पायल :- जी जरूर! कुछ भी पूछना  होगा तो मैं आपको टेलीफोन कर लूंगी, सिर्फ आप मुझसे उस वक्त पर बात कर लेना, इतना तो मेरे लिए करेंगे ना आप?


"जी जरूर करूंगा। अब तो हम दोस्त बन गए हैं और दोस्तों की मदद करना मुझे किसी ने सिखलाया है और जिस किसी से भी मैंने यह बात सीखी है वह तो दोस्तों की मदद हमेशा ही करता है और दूसरों को भी करने के लिए प्रेरित करता है उसी को देख कर मैं अपने दोस्तों के लिए  हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहता हूॅं और अब जब आप मेरी दोस्त हो गई है तो उस नाते मेरा फर्ज बनता है कि मैं आपकी मदद करूं। 


"आपका कॉलेज कैसा चल रहा है और  कॉलेज में आपने कोई दोस्त बनाया है?  मैंने सुना है कॉलेज की जिंदगी स्कूल की जिंदगी से अलग होती है। वहां पर हमें स्कूल की तरह अनुशासन में नहीं रहना पड़ता बल्कि जब मर्जी हम क्लास करें या ना करें उससे किसी भी प्रोफ़ेसर को कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। क्या ऐसा वहां पर होता है?"  पायल ने कॉलेज के बारे में जानने की इच्छा से  ऋषभ से पूछा।


ऋषभ  कॉलेज के बारे में पायल को बताने लगता है और 

दोनों बात कर ही रहे होते हैं कि तभी सभी लोग उस क्षेत्र में आ जाते हैं जहां पर पायल और ऋषभ  बैठे होते हैं।


"दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है ना?।" पायल  के पिता के मुॅंह से यह बातें सुनकर ऋषभ की दादी आश्चर्य में पड़ जाती है और उनकी तरफ देखने लगती है।


"अभी दोनों की उम्र ही क्या है? जब दोनों की शादी की उम्र हो जाएगी तब आपकी बेटी ही मेरे बेटे की जीवनसाथी बनेगी।" नारायण ठाकुर ने अपने कारोबारी मित्र की तरफ देखते हुए कहा।


नारायण ठाकुर और उनके कारोबारी मित्र की बातें सुनकर ऋषभ की दादी और उसकी माॅं दोनों  ही आश्चर्य से नारायण ठाकुर को ही देख रहे हैं जबकि पायल के माता-पिता को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वें दोनों  तो मुस्कुराकर पायल और ऋषभ के बारे में बात कर रहे हैं।


क्या पायल को मालूम है कि उसके माता-पिता ने उसकी शादी ऋषभ से तय कर दी है और जब उसकी पढ़ाई  पूरी हो जाएगी उसे ऋषभ की पत्नी बनना है? इन सभी बातों को जानने के लिए जुड़े रहे इसके अगले अध्याय से।


क्रमशः


गुॅंजन कमल 💓 💞 💗


# उपन्यास लेखन 


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4 Comments

Shnaya

21-Oct-2022 08:04 PM

बहुत ही सुन्दर

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Milind salve

07-Oct-2022 05:50 PM

बहुत ही सुन्दर भाग

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Khushbu

05-Oct-2022 03:55 PM

बेहतरीन भाग

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